
“नदियां सिर्फ जल की धाराएं नहीं, बल्कि संस्कृति, कृषि और जीवन की आधारशिला होती हैं। जब कोई नदी सूखती है, तो उसका मतलब होता है – जीवन की एक धारा रुक जाना।”
छत्तीसगढ़ के कई अंचलों में फैली चिनार नदी आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। कभी गांवों के बीच से बहती यह नदी जीवनदायिनी थी, लेकिन आज वह केवल एक सूखी रेत की पट्टी बनकर रह गई है। रेत के टीलों और ट्रैक्टरों के निशान इस बात की गवाही देते हैं कि हम किस हद तक प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर चुके हैं।
आज चिनार नदी की हालत देखकर जल संरक्षण की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक स्पष्ट हो गई है।
चिनार नदी: जीवन और जल का स्रोत
चिनार नदी छत्तीसगढ़ के रायपुर, बलौदाबाजार और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से होकर बहती है। यह नदी वर्षों से स्थानीय लोगों के लिए सिंचाई, पेयजल और दैनिक जरूरतों का प्रमुख स्रोत रही है। ग्रामीणों की धार्मिक मान्यताओं और सामाजिक रीति-रिवाजों में भी इसका विशिष्ट स्थान है।
संकट के कारण:
1. वर्षा में गिरावट
- भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार छत्तीसगढ़ में 2010 से 2023 के बीच औसतन 11% वर्षा में कमी आई है।
- चिनार नदी के जलग्रहण क्षेत्र में 2021 और 2022 में 15% कम बारिश रिकॉर्ड की गई।
2. भूजल स्तर में गिरावट
- CGWB की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, चिनार नदी क्षेत्र में भूजल स्तर हर साल लगभग 2.5 मीटर घट रहा है।
- कई गांवों में अप्रैल-मई के महीनों में ही हैंडपंप और कुएं सूखने लगते हैं।
3. अवैध रेत खनन
- NGT (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में चिनार नदी क्षेत्र में 27 से अधिक स्थलों पर अवैध रेत खनन की पुष्टि हुई थी।
- रेत खनन से नदी की गहराई और बहाव दोनों प्रभावित हुए हैं।
4. वृक्षों की कटाई और तटों का अतिक्रमण
- फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्र में 2019 से 2023 तक 3.13% की गिरावट आई है।
- चिनार नदी के किनारों पर अवैध प्लॉटिंग, निर्माण और खेती बढ़ रही है, जिससे वर्षा जल का प्रवाह बाधित होता है।
ग्रामीण जीवन पर असर
कृषि संकट
- पहले जहां चिनार नदी से लगभग 1,200 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती थी, अब वहां बंजर जमीन नजर आती है।
- बोरवेल और टैंकर के सहारे खेती करना किसानों की लागत को 30–40% तक बढ़ा रहा है।
पेयजल की समस्या
- गर्मियों में 18 गांवों में टैंकर से पानी पहुंचाना पड़ता है (जनपद पंचायत रिपोर्ट 2023)।
- जल की गुणवत्ता भी गिर रही है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं।
महिलाएं और बच्चे प्रभावित
- पानी लाने के लिए महिलाओं को रोजाना 3–5 किलोमीटर तक चलना पड़ता है।
- बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है क्योंकि वे भी पानी की व्यवस्था में जुट जाते हैं।
ग्रामीणों की आवाज़
रामकुमार साहू (ग्राम चरौदा):
“जब हम छोटे थे, चिनार नदी सालभर बहती थी। अब सिर्फ रेत बची है। पानी ढूंढ़ना कठिन हो गया है।”
रेखा यादव, महिला स्वयं सहायता समूह सदस्य:
“अगर पानी नहीं मिला तो खेती बंद करनी पड़ेगी। अब हर साल पानी के लिए लड़ना पड़ता है।”
समाधान: अब भी देर नहीं हुई
वर्षा जल संचयन को बढ़ावा
- स्कूलों, पंचायत भवनों और घरों में वर्षा जल संचयन की संरचनाएं बनें।
- “नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी” योजना के तहत नालों का संरक्षण हो।
भूजल पुनर्भरण के उपाय
- MGNREGS के माध्यम से रिचार्ज कुएं, चेक डैम, तालाब गहरीकरण जैसे काम करवाए जाएं।
अवैध रेत खनन पर रोक
- जिला खनिज विभाग और प्रशासन की निगरानी से NGT आदेशों का पालन करवाया जाए।
नदी पुनर्जीवन अभियान
- महाराष्ट्र के हिवरे बाजार मॉडल को अपनाकर समुदाय आधारित नदी बचाओ अभियान शुरू हो।
- गांवों में “नदी मित्र समूह” बनाकर युवाओं और महिलाओं को जोड़ा जाए।
निष्कर्ष
चिनार नदी का सूखना एक चेतावनी है – न केवल इस नदी के लिए, बल्कि उन सैकड़ों छोटी नदियों के लिए जो इसी हालात से गुजर रही हैं। यह संकट केवल एक पर्यावरणीय संकट नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक संकट है।
अब वक्त है कि हम जल संरक्षण को केवल नारा नहीं, एक जन आंदोलन बनाएं।
क्योंकि #जल_है_तो_कल_है।
और अगर नदी बचेगी, तो जीवन बचेगा।
स्रोत:
- भारतीय मौसम विभाग (IMD) – छत्तीसगढ़ वर्षा रिपोर्ट 2023
- केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) रिपोर्ट – 2022
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) आदेश – 2021
- फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया रिपोर्ट – 2023