धमतरी (छत्तीसगढ़):
वनों से घिरा, नदियों से समृद्ध, और गंगरेल जैसे विशाल जलाशय वाला धमतरी जिला अब गंभीर पेयजल संकट की ओर बढ़ रहा है। जहां एक ओर जिले का 52% हिस्सा वनाच्छादित है और महानदी, सोंढूर और शिवनाथ जैसी नदियाँ बहती हैं, वहीं दूसरी ओर कई गांवों में पीने के पानी के लिए लोग लंबी दूरी तय करने को मजबूर हैं।
भूजल की गिरती स्थिति
केंद्रीय भूजल बोर्ड (Central Ground Water Board – CGWB) की 2023 की रिपोर्ट बताती है कि जिले के चार विकासखंडों में से कुरुद और मगरलोड अब “अर्ध-संकटग्रस्त” (semi-critical) श्रेणी में आ चुके हैं। इसका कारण है – भूजल का अत्यधिक दोहन, वर्षा जल का अपर्याप्त संचयन, और जल संसाधनों की असंवेदनशील योजना।
बारिश होती है, लेकिन पानी बचता नहीं
धमतरी में औसतन 1200 मिमी से अधिक वर्षा होती है, फिर भी पानी की उपलब्धता ग्रामीण क्षेत्रों में असमान है। इसका कारण वर्षा जल का समुचित संग्रह न होना और पारंपरिक जल स्रोतों की उपेक्षा है।
10 गांवों की स्थिति: एक चिंताजनक तस्वीर
नीचे धमतरी जिले के 10 ग्रामों का जल स्रोत, उपलब्धता और समस्याओं का विवरण प्रस्तुत है:
क्रम | ग्राम का नाम | जल स्रोत एवं संख्या | जल उपलब्धता | प्रमुख समस्याएँ |
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1 | पिपराहीभारी | 1 तालाब, 2 हैंडपंप | सीमित | गर्मियों में सूखा; महिलाएं दूर से पानी लाती हैं। |
2 | नवागांव | 3 ट्यूबवेल, 4 हैंडपंप | मध्यम | भूजल गिरावट; कुछ हैंडपंप खराब। |
3 | परास्तराई | 1 ओवरहेड टैंक, 2 ट्यूबवेल, 1 पाइपलाइन | अस्थिर | पाइपलाइन लीकेज; टैंक सफाई नहीं। |
4 | सेहरादाबरी | 2 ट्यूबवेल, 1 वर्षा जल संचयन यूनिट | सीमित | संचयन अधूरा; जल स्तर गिरा। |
5 | खपरी | 1 ट्यूबवेल, 3 हैंडपंप | कम | हैंडपंप सूखे; पानी की मात्रा कम। |
6 | भानपुरी | 2 ट्यूबवेल, 1 पाइपलाइन | मध्यम | पाइपलाइन आपूर्ति अनियमित। |
7 | पोटियाडीह | 2 ट्यूबवेल, 2 हैंडपंप | सीमित | गर्मियों में कमी; स्रोत कम। |
8 | रत्नाबंधा | 3 ट्यूबवेल, 1 वर्षा संचयन प्रणाली | अस्थिर | संचयन निष्क्रिय; जल स्तर गिरा। |
9 | संबलपुर | 2 ट्यूबवेल, 2 हैंडपंप | कम | हैंडपंप खराब; जल स्रोत निर्भरता अधिक। |
10 | टेलिनसत्ती | 3 ट्यूबवेल, 1 पाइपलाइन | सीमित | पाइपलाइन लीकेज; ट्यूबवेल गहराई कम। |
विश्लेषण और विशेषज्ञों की राय
जल विशेषज्ञ मानते हैं कि “धमतरी में जल संकट का कारण केवल जल की कमी नहीं, बल्कि जल प्रबंधन की कमी है।” परंपरागत जल स्रोत जैसे तालाब, कुएं और वर्षा जल संचयन प्रणाली का संरक्षण आवश्यक है।
NGO से जुड़े एक कार्यकर्ता का कहना है:
“हमारे सर्वेक्षण में यह साफ हुआ कि जिन गांवों में वर्षा जल संचयन और सामुदायिक टैंक जैसी पहल हुई, वहां जल संकट अपेक्षाकृत कम है। आवश्यकता है सामुदायिक सहभागिता और नीति-आधारित समाधान की।”
समाधान की दिशा में कदम
- ग्राम स्तर पर जल सुरक्षा योजना बनाना।
- सभी पंचायतों में जल स्रोतों की मैपिंग और मरम्मत।
- वर्षा जल संचयन को अनिवार्य करना, विशेषकर स्कूलों और आंगनबाड़ी भवनों में।
- नल-जल योजना को क्रियाशील और नियमित मॉनिटरिंग के साथ लागू करना।
निष्कर्ष:
धमतरी जैसे वन क्षेत्र और जल संपन्न जिले में भी जल संकट एक सचेत करने वाली स्थिति है। यह केवल प्राकृतिक संसाधनों की समस्या नहीं, बल्कि नीतिगत शिथिलता और सामुदायिक भागीदारी की कमी को भी दर्शाता है। समय रहते योजना बनाई गई, तो धमतरी फिर से जल सुरक्षा का उदाहरण बन सकता है।